
महाराणा प्रताप भाग-1
उदय-सरोवर का तट ! तट से कुछ दूर हटकर घने वृक्षों की डालियों से आठ- दस घोड़े बंधे हुए थे| उनसे इधर एक वृक्ष की छाया में एक थकी आयु का तेजस्वी व्यक्ति खड़ा था|
पढ़ना शुरू करेंमायड़ थारो वो पूत कठे
हल्दी घाटी में समर लड़यो, वो चेतक रो असवार कठे? मायड़ थारो वो पुत कठे? वो एकलिंग दीवान कठे? वो मेवाड़ी सिरमौर कठे? वो महाराणा प्रताप कठे?
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महाराणा प्रताप
मेवाड़ का वीर योद्धा महाराणा प्रताप
इस श्रंखला में महाराणा प्रताप के प्रेरणाप्रद और अनुकरणीय चरित्र को प्रस्तुत किया गया है। उनके प्रेरणाप्रद जीवन की यह कहानी युवाओं के हृदयों में राष्ट्रप्रेम, संकट से जूझने का सहस और वीरता के भावों का उद्भव करेगी।
महाराणा प्रताप भाग-26
और अगले ही रोज़ महाराणा को उन लोगों के कमलमीर पहुँचने का समाचार मिला। महाराणा कुछ सैनिक साथ लेकर मिलने ले लिए चल दिए। मिलने की व्यवस्था वहां के राजदरबार[…]
Read moreमहाराणा प्रताप भाग-25
खाना खाने के बाद वे अपनी बड़ी झोंपड़ी के सामने पड़े चौड़े-चपटे पत्थर पर आ बैठे। इधर-उधर बैठे या घूमते हुए राजपूत सैनिकों ने आकर उन्हें घेर लिया। वे लोग[…]
Read moreमहाराणा प्रताप भाग-24
कमलमीर की पर्वतमाला। एक काफी बड़ी साफ़-सुथरी झोंपड़ी नजर आ रही थी। उस झोंपड़ी पर सूर्य के चिन्ह से अंकित लाल झण्डा लहरा रहा था। सामने एक बहुत बड़ा चौड़ा-चपटा[…]
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