मेवाड़ का वीर योद्धा महाराणा प्रताप

महाराणा प्रताप भाग-29

उदयसागर का तट । सुन्दर शामियाने तने थे  भीतर राजसी ठाठ-बाट से बैठने आदि की व्यवस्था थी। सोने-चाँदी के बर्तनों में भोजन की व्यवस्था की जा रही थी। प्रताप और मानसिंह एक बार मिल चुके थे। प्रताप के सामने मानसिंह ने भी वही प्रस्ताव रखे थे, जो उसके पिता राजा भगवानदास और राजा टोडरमल रख चुके…
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महाराणा प्रताप भाग-28

प्रातःकाल का समय था। वृक्षों के पत्तों से छन-छनकर प्रातःकाल के सूर्य की किरणें महाराणा को झोंपड़ी पर पड़ रही थीं। वृक्षों के एक झुरमुट में महाराणा प्रताप ध्यान में मग्न होकर बैठे थे। प्रतिदिन उनका यही कार्यक्रम रहता। वे काफी देर तक समाधि लगा- कर अपना नित्य-कर्म किया करते। आसपास का वातावरण काफी सुहावना…
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महाराणा प्रताप भाग-27

“क्या?” महाराणा ने बीच में ही बात काटते हुए तनिक जोश के साथ कहा – “मैं आपके साथ आगरा चलूँ, ताकि आपके सम्राट के सामने मस्तक झुककर भीख माँग सकूँ, कि मेवाड़ हमारा घर है, हमारी मातृभूमि है, आप उसे हमें भीख में या उपहार में दे दीजिये ! हम आपको अपना शासक मानकर वार्षिक…
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महाराणा प्रताप भाग-26

और अगले ही रोज़ महाराणा को उन लोगों के कमलमीर पहुँचने का समाचार मिला। महाराणा कुछ सैनिक साथ लेकर मिलने ले लिए चल दिए। मिलने की व्यवस्था वहां के राजदरबार या महलों में न कर, एक सुन्दर, सुसज्जित शामियाने में की गई थी। महाराणा के बैठने के लिए कुशाओं के बने मोढ़े (आसन) व्यवस्था थी,जब…
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महाराणा प्रताप भाग-25

खाना खाने के बाद वे अपनी बड़ी झोंपड़ी के सामने पड़े चौड़े-चपटे पत्थर पर आ बैठे। इधर-उधर बैठे या घूमते हुए राजपूत सैनिकों ने आकर उन्हें घेर लिया। वे लोग भी आस-पास छोटे-छोटे पत्थरों के टुकड़ों पर बैठ गए। “आप लोगों का युद्ध-अभ्यास कैसा चल रहा है?” महाराणा प्रताप ने चारों तरफ देखते हुए कहा।…
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महाराणा प्रताप भाग-24

कमलमीर की पर्वतमाला। एक काफी बड़ी साफ़-सुथरी झोंपड़ी नजर आ रही थी। उस झोंपड़ी पर सूर्य के चिन्ह से अंकित लाल झण्डा लहरा रहा था। सामने एक बहुत बड़ा चौड़ा-चपटा पत्थर का टुकड़ा पड़ा था। उस पर कुशाओं (घास) का एक आसान आसन बिछा था। दो बच्चे उसके आसपास खेल रहे थे। उस झोंपड़ी से…
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महाराणा प्रताप भाग-23

“यह भी कर देखिये, राजा साहब !” अकबर ने कहा — “पर अब अधिक देर नहीं होनी चहिये ।” अकबर ने फिर राजा भगवानदास की तरफ देखते हुए कहा — “हम नहीं चाहते की प्रताप जैसा महत्वपूर्ण व्यक्ति हठ करके युद्ध की भेंट हो जाय ! आप अभी-अभी रिश्ते की बात कर रहे थे न,…
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महाराणा प्रताप भाग-22

“यही मैं भी कहने जा रहा था!” राजा भगवानदास बोले । “आप लोग इस विशाल मुग़ल राज्य की नींव हैं ।” अकबर ने गम्भीर स्वर में कहा— “सोचा था, सारे भारत को एक सुसंगठित साम्राज्य के रूप में संगठित कर दूंगा । पर लगता है, मेरा सपना साकार नहीं हो सकता । मेवाड़ के राणा…
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महाराणा प्रताप भाग-21

“सारा मेवाड़, बल्कि सारा भारत यह भी तो जानता है कि प्रताप ने आपको अपने भाई के समान नहीं, बल्कि अपने बेटे अमरसिंह के समान पला-पोसा और बड़ा किया है । अमरसिंह से भी बढ़कर आपको अपना स्नेह दिया है । क्या आप अपने उसी पिता समान भाई का विरोध करेंगे ?” अकबर ने गंभीरता…
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महाराणा प्रताप भाग-20

“जो आज्ञा जहाँपनाह !” दरबान ने कहा और सलाम करके चला गया । “और कोई बात ?” अकबर ने फिर पूछा । “राणा  प्रताप ने कमलमीर, गोगुन्दा, देवीर, भीम सरोवर दुर्ग और सुर्यमहल जैसे पुराने दुर्गों की मरम्मत भी करवा  ली है । इन्हें जागीर के रूप में अपने विश्वासी सैनिकों को दे दिया है…
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