प्रातःकाल का समय था। वृक्षों के पत्तों से छन-छनकर प्रातःकाल के सूर्य की किरणें महाराणा को झोंपड़ी पर पड़ रही थीं। वृक्षों के एक झुरमुट में महाराणा प्रताप ध्यान में मग्न होकर बैठे थे। प्रतिदिन उनका यही कार्यक्रम रहता। वे काफी देर तक समाधि लगा- कर अपना नित्य-कर्म किया करते। आसपास का वातावरण काफी सुहावना…
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