कमलमीर की पर्वतमाला। एक काफी बड़ी साफ़-सुथरी झोंपड़ी नजर आ रही थी। उस झोंपड़ी पर सूर्य के चिन्ह से अंकित लाल झण्डा लहरा रहा था। सामने एक बहुत बड़ा चौड़ा-चपटा पत्थर का टुकड़ा पड़ा था। उस पर कुशाओं (घास) का एक आसान आसन बिछा था। दो बच्चे उसके आसपास खेल रहे थे। उस झोंपड़ी से…
Read more
“यह भी कर देखिये, राजा साहब !” अकबर ने कहा — “पर अब अधिक देर नहीं होनी चहिये ।” अकबर ने फिर राजा भगवानदास की तरफ देखते हुए कहा — “हम नहीं चाहते की प्रताप जैसा महत्वपूर्ण व्यक्ति हठ करके युद्ध की भेंट हो जाय ! आप अभी-अभी रिश्ते की बात कर रहे थे न,…
Read more
“यही मैं भी कहने जा रहा था!” राजा भगवानदास बोले । “आप लोग इस विशाल मुग़ल राज्य की नींव हैं ।” अकबर ने गम्भीर स्वर में कहा— “सोचा था, सारे भारत को एक सुसंगठित साम्राज्य के रूप में संगठित कर दूंगा । पर लगता है, मेरा सपना साकार नहीं हो सकता । मेवाड़ के राणा…
Read more
“सारा मेवाड़, बल्कि सारा भारत यह भी तो जानता है कि प्रताप ने आपको अपने भाई के समान नहीं, बल्कि अपने बेटे अमरसिंह के समान पला-पोसा और बड़ा किया है । अमरसिंह से भी बढ़कर आपको अपना स्नेह दिया है । क्या आप अपने उसी पिता समान भाई का विरोध करेंगे ?” अकबर ने गंभीरता…
Read more
“जो आज्ञा जहाँपनाह !” दरबान ने कहा और सलाम करके चला गया । “और कोई बात ?” अकबर ने फिर पूछा । “राणा प्रताप ने कमलमीर, गोगुन्दा, देवीर, भीम सरोवर दुर्ग और सुर्यमहल जैसे पुराने दुर्गों की मरम्मत भी करवा ली है । इन्हें जागीर के रूप में अपने विश्वासी सैनिकों को दे दिया है…
Read more
” हाँ सम्राट !” आसपास बैठे राजाओं ने झेंपते हुए कहा । “फिर तुम लोग कहाँ-कहाँ गए ?” अकबर ने अपने दूतों की तरफ देखते हुए पूछा । “हम लोग वहाँ से निकल चित्तौडगढ़ गए ।” एक कहने लगा — “हमने सारी बातें हुजुर के सेवक राणा सागरसिंह को बता दी । वह डर गए…
Read more
“मै –मैं शर्मिन्दा हूँ, प्रताप ! मैं यह बिलकुल नहीं चाहता था …!” शक्तिसिंह ने गिडगिडाते हुए कहा — “मैं तो तुम्हारा घमंड तोडना चाहता था, पर….पर हमें स्वाभिमान का पाठ पढ़ाने वाला मेरे हांथों से टूट गया– ओह !” शक्तिसिंह की आँखों में भी आंसू भर आये । कुछ क्षण उदासी में सरक गए…
Read more
“हाँ ! तलवार से !” शक्तिसिंह ने गंभीर बनते हुए कहा –“आपको अपनी शक्ति पर शायद अधिक गर्व हो गया है । आप समझते हैं कि बाप्पा रावल का तेजस्वी खून केवल आपकी रगों में ही है । उठाइए तलवार !””शक्ति भैया !” प्रताप ने आश्चर्यचकित होते हुए कहा —“बाप्पा रावल के तेजस्वी खून का…
Read more
प्रताप आगे बढे । जंगली सूअर के पीछे थोड़ी दूर भागे । फिर उन्होंने अपना भाला साधकर सूअर को दे मारा । भाला सूअर की कमर में धंसकर शरीर के उस पार निकल गया । इधर प्रताप का भाला सूअर को लगा, ठीक उसी समय विपरीत दिशा से भी आकर एक भाला सूअर के पेट…
Read more
” हाँ, महाराणा !” महामंत्री ने कहा –“शिकार के लिए अनेक मचान तैयार है । हांक लगाने वाले जंगल मैं चारों ओर फ़ैल चुके हैं ।” फिर उन्होंने सामने वाले टीले की तरफ इशारा करते हुए कहा — “वह नगाड़ा वहां रखा है, उस पर चोट पड़ते ही जंगल में हांक लगनी आरम्भ हो जाएगी…
Read more