Month: July 2019

महाराणा प्रताप भाग-24

कमलमीर की पर्वतमाला। एक काफी बड़ी साफ़-सुथरी झोंपड़ी नजर आ रही थी। उस झोंपड़ी पर सूर्य के चिन्ह से अंकित लाल झण्डा लहरा रहा था। सामने एक बहुत बड़ा चौड़ा-चपटा पत्थर का टुकड़ा पड़ा था। उस पर कुशाओं (घास) का एक आसान आसन बिछा था। दो बच्चे उसके आसपास खेल रहे थे। उस झोंपड़ी से…
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महाराणा प्रताप भाग-23

“यह भी कर देखिये, राजा साहब !” अकबर ने कहा — “पर अब अधिक देर नहीं होनी चहिये ।” अकबर ने फिर राजा भगवानदास की तरफ देखते हुए कहा — “हम नहीं चाहते की प्रताप जैसा महत्वपूर्ण व्यक्ति हठ करके युद्ध की भेंट हो जाय ! आप अभी-अभी रिश्ते की बात कर रहे थे न,…
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महाराणा प्रताप भाग-22

“यही मैं भी कहने जा रहा था!” राजा भगवानदास बोले । “आप लोग इस विशाल मुग़ल राज्य की नींव हैं ।” अकबर ने गम्भीर स्वर में कहा— “सोचा था, सारे भारत को एक सुसंगठित साम्राज्य के रूप में संगठित कर दूंगा । पर लगता है, मेरा सपना साकार नहीं हो सकता । मेवाड़ के राणा…
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महाराणा प्रताप भाग-21

“सारा मेवाड़, बल्कि सारा भारत यह भी तो जानता है कि प्रताप ने आपको अपने भाई के समान नहीं, बल्कि अपने बेटे अमरसिंह के समान पला-पोसा और बड़ा किया है । अमरसिंह से भी बढ़कर आपको अपना स्नेह दिया है । क्या आप अपने उसी पिता समान भाई का विरोध करेंगे ?” अकबर ने गंभीरता…
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महाराणा प्रताप भाग-20

“जो आज्ञा जहाँपनाह !” दरबान ने कहा और सलाम करके चला गया । “और कोई बात ?” अकबर ने फिर पूछा । “राणा  प्रताप ने कमलमीर, गोगुन्दा, देवीर, भीम सरोवर दुर्ग और सुर्यमहल जैसे पुराने दुर्गों की मरम्मत भी करवा  ली है । इन्हें जागीर के रूप में अपने विश्वासी सैनिकों को दे दिया है…
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महाराणा प्रताप भाग-19

” हाँ  सम्राट !” आसपास बैठे राजाओं ने झेंपते हुए कहा । “फिर तुम लोग कहाँ-कहाँ गए ?”  अकबर ने अपने दूतों की तरफ देखते हुए पूछा । “हम लोग वहाँ  से निकल चित्तौडगढ़ गए ।” एक कहने लगा — “हमने सारी  बातें हुजुर के सेवक राणा सागरसिंह को बता दी । वह डर  गए…
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महाराणा प्रताप भाग-18

“मै –मैं शर्मिन्दा  हूँ, प्रताप ! मैं यह बिलकुल नहीं चाहता था …!” शक्तिसिंह ने गिडगिडाते  हुए कहा — “मैं तो तुम्हारा घमंड तोडना चाहता था, पर….पर हमें स्वाभिमान का पाठ पढ़ाने  वाला मेरे हांथों से टूट गया– ओह !” शक्तिसिंह की आँखों में भी आंसू भर आये । कुछ क्षण उदासी में सरक गए…
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महाराणा प्रताप भाग-17

“हाँ ! तलवार से !” शक्तिसिंह ने गंभीर बनते हुए कहा –“आपको अपनी शक्ति पर शायद अधिक गर्व हो गया है । आप समझते हैं कि  बाप्पा रावल का तेजस्वी खून केवल आपकी रगों में ही है । उठाइए तलवार  !””शक्ति भैया !” प्रताप ने आश्चर्यचकित होते हुए कहा —“बाप्पा रावल के तेजस्वी खून का…
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महाराणा प्रताप भाग-16

प्रताप आगे बढे । जंगली सूअर के पीछे थोड़ी दूर भागे । फिर उन्होंने अपना भाला  साधकर सूअर को दे मारा । भाला  सूअर की कमर में धंसकर शरीर के उस पार निकल गया । इधर प्रताप का भाला  सूअर को लगा, ठीक उसी समय विपरीत दिशा से भी आकर एक भाला  सूअर के पेट…
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महाराणा प्रताप भाग – 15

” हाँ, महाराणा !” महामंत्री ने कहा –“शिकार के लिए अनेक मचान तैयार है । हांक लगाने वाले जंगल मैं चारों  ओर फ़ैल चुके  हैं ।” फिर उन्होंने सामने वाले टीले की तरफ इशारा करते हुए कहा — “वह नगाड़ा वहां रखा है, उस पर चोट पड़ते ही जंगल में हांक लगनी आरम्भ हो जाएगी…
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