गोगुन्दा में यागमल का राज-दरबार ! राणाओं की पगड़ी पहने और तलवार लटकाए यागमल राज-सिंहासन पर बैठा था। उसके कुछ खुशामदी और विलासी मित्र तथा दरबारी भी वहां उपस्थित थे। एक-दो विदेशी पगड़ियाँ भी नजर आ रही थी । विदेशी पगड़ीधारी व्यक्ति शायद अकबर के दूत थे, जो यागमल को अपने पक्ष में मिलाने के…
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चारों-पाँचों व्यक्तियों ने एक-दुसरे की तरफ देखा| ” आप सालुम्बरा के चंदावत सरदार है ना ?” वृद्ध ने कृष्ण सिंह की तरफ इशारा करते हुए फिर कहा–“और आप मेवाड़ के वृद्ध महामंत्री —क्यों ?” मै और आप मेवाड़ की तीसरी पीडी को देख रहे है, मंत्री जी–है ना ? क्या हम लोग इसीलिए जीवित है…
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“भूल?” उस वृद्ध ने फिर कहा —” सिसोदिया वंश से अब भूल होने के सिवाय और आशा ही क्या कर सकते है?” “क्या –आ?” प्रताप का मुंह खुला रह गया| उन्होंने बारी-बारी से मन्नाजी और शक्तिसिंह की तरफ देखा| “स्वर्गीय राणा उदयसिंह की भूल का ही तो यह परिणाम है कि एक विलासी बाप्पा रावल…
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“अरे अभी आगे-आगे देखना क्या होता है !” पहले ने फिर से कहा –“मेवाड़ तो अब नाममात्र का मेवाड़ रह गया है | एक-एक करके सारे इलाके छिन गये है | सुना है, उदयपुर पर भी अकबर का अधिकार हो गया है |” “होता क्यूँ ना ! उस भटियानी के बेटे यागमल को अपने तन…
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“मेवाड़ राज्य, जो विदेशियों के आक्रमणों के कारण कटता-छंटता पहले ही बहुत छोटा रह गया है, कुंवर यागमल जैसे विलासी के राणा बनते ही वह पूर्णतया अकबर की गोद में चला जायेगा |” राजगुरु ने फिर कहा| “राजगुरु | उदयसिंह ने कहा —” आप धर्म और शिक्षा के गुरु है, राजनीती के नहीं | आपकी…
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“सिसोदिया वंश की लाज अब तुम्हारे ही हाथ में है, प्रताप ! तुम्हारे पिता ने अपनी विलासिता के कारण जो मान-सम्मान खो दिया है, उसे तुम्हे ही लौटाना है, प्रताप ! मेवाड़ और पुरे राजस्थान के उस गौरव को तुम्हे ही बचाना है, जो कुछ कुल-कलंकी राजपूतों ने विदेशियों के हाथों अपनी बहु-बेटियां सौंपकर मिटटी…
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“प्रताप !” “अं-हाँ !” प्रताप ने चौंककर देखा | “तुम अकेले यहाँ खड़े होकर क्या कर रहे हो, प्रताप ?” कहने वाले थे राजगुरु | वे बोले –“हम सब तुम्हें उधर खोजते रहे | तलवार चलने का अभ्यास करके तुम चुपके के खिसक आये, यह तुम्हे क्या होता जा रहा है, कुंवर ?” “गुरुदेव !”…
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सभी ने अपने-अपने कपडे पहन लिए थे| तलवारें और भाले भी संभाल लिए थे| इन आठ-दस बालकों में चार तो थे राणा उदयसिंह के बेटे | उनमे प्रताप सबसे बड़ा बेटा था | उसका जन्म ६ मई, सन १५४० में हुआ था | उसकी माता का नाम था महारानी जयजयवंती महारानी जयजयवंती शोन गढ़ के…
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उदय-सरोवर का तट ! तट से कुछ दूर हटकर घने वृक्षों की डालियों से आठ- दस घोड़े बंधे हुए थे| उनसे इधर एक वृक्ष की छाया में एक थकी आयु का तेजस्वी व्यक्ति खड़ा था| उसकी द्रष्टि सरोवर में तैर रहे बालकों और किशोरों का पीछा कर रही थी| उनके पास तैरने वालों के राजसी…
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