और अगले ही रोज़ महाराणा को उन लोगों के कमलमीर पहुँचने का समाचार मिला। महाराणा कुछ सैनिक साथ लेकर मिलने ले लिए चल दिए। मिलने की व्यवस्था वहां के राजदरबार या महलों में न कर, एक सुन्दर, सुसज्जित शामियाने में की गई थी। महाराणा के बैठने के लिए कुशाओं के बने मोढ़े (आसन) व्यवस्था थी,जब…
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“यह भी कर देखिये, राजा साहब !” अकबर ने कहा — “पर अब अधिक देर नहीं होनी चहिये ।” अकबर ने फिर राजा भगवानदास की तरफ देखते हुए कहा — “हम नहीं चाहते की प्रताप जैसा महत्वपूर्ण व्यक्ति हठ करके युद्ध की भेंट हो जाय ! आप अभी-अभी रिश्ते की बात कर रहे थे न,…
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“यही मैं भी कहने जा रहा था!” राजा भगवानदास बोले । “आप लोग इस विशाल मुग़ल राज्य की नींव हैं ।” अकबर ने गम्भीर स्वर में कहा— “सोचा था, सारे भारत को एक सुसंगठित साम्राज्य के रूप में संगठित कर दूंगा । पर लगता है, मेरा सपना साकार नहीं हो सकता । मेवाड़ के राणा…
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“सारा मेवाड़, बल्कि सारा भारत यह भी तो जानता है कि प्रताप ने आपको अपने भाई के समान नहीं, बल्कि अपने बेटे अमरसिंह के समान पला-पोसा और बड़ा किया है । अमरसिंह से भी बढ़कर आपको अपना स्नेह दिया है । क्या आप अपने उसी पिता समान भाई का विरोध करेंगे ?” अकबर ने गंभीरता…
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“जो आज्ञा जहाँपनाह !” दरबान ने कहा और सलाम करके चला गया । “और कोई बात ?” अकबर ने फिर पूछा । “राणा प्रताप ने कमलमीर, गोगुन्दा, देवीर, भीम सरोवर दुर्ग और सुर्यमहल जैसे पुराने दुर्गों की मरम्मत भी करवा ली है । इन्हें जागीर के रूप में अपने विश्वासी सैनिकों को दे दिया है…
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